भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने पेरिस ओलंपिक 2024 में महिलाओं की फ्रीस्टाइल 50 कि.ग्रा. वर्ग में जापान की शीर्ष सीड यूई सुसाकी को हराकर सबको चौंका दिया। यह जीत विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी, क्योंकि फोगाट को इस मुकाबले में न केवल किसी शीर्ष प्रतिद्वंद्वी से जीतना था, बल्कि उन्हें खुद को उच्च मुकाबले की कठिनाइयों से भी निपटना पड़ा। सुसाकी, जो पांच बार की विश्व चैंपियन और पिछले टोक्यो ओलंपिक की स्वर्ण पदक विजेता हैं, के खिलाफ यह जीत निश्चित रूप से आश्चर्यजनक थी।
मुकाबले में विनेश फोगाट ने अपनी जबरदस्त कुश्ती कौशल और दृढ़ता से सभी को प्रभावित किया। क्वार्टर फाइनल में, वह 0-2 से पीछे थीं, दो सेकंड से भी कम समय बचा था कि फोगाट ने एक आश्चर्यजनक चाल चलकर तीन अंक प्राप्त कर मैच 3-2 से जीत लिया। इस अद्भुत वापसी से उन्होंने अपने करियर में पहली बार ओलंपिक सेमीफाइनल में जगह बनाई है।
विनेश की यह जीत सिर्फ सुर्खियों में ही नहीं रही, बल्कि उनका पूरा यात्रा भी बहुत प्रेरक है। उन्होंने यूक्रेन की ओक्साना लीवाच को राउंड ऑफ 16 में 7-5 से हराया था। अपने सेमीफाइनल मुकाबले में, वह एक और जीत के करीब हैं, जो उन्हें ओलंपिक पदक की गारंटी देगी, जबकि हार भी उन्हें कांस्य पदक के लिए मौका देगी।
विनेश फोगाट ने अपने करियर में कई चुनौतियाँ झेली हैं, जिसमें भारतीय कुश्ती महासंघ के साथ विवाद और बार-बार होने वाली चोटें शामिल हैं। उनके इस सफर में कई मुश्किलें आईं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनकी यह उपलब्धि भारतीय खेल जगत के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणा है और नई पीढ़ी के कुश्ती खिलाड़ियों के लिए मार्गदर्शक भी।
इससे पहले भी विनेश ने अपनी क्रिकेट जगत में जगह बनायी है, परंतु इस बार उन्हें नयी ऊँचाइयों पर ले जाने का मौका मिल रहा है। उनके सेमीफाइनल मुकाबले का इंतजार अब सभी प्रशंसकों को है, जो उम्मीद कर रहे हैं कि वे इतिहास रचेंगी और देश को गर्व महसूस कराएंगी। इस जीत से उन्होंने न केवल अपने समर्पण और मेहनत का प्रमाण दिया है, बल्कि भारतीय खेल जगत में एक नया कीर्तिमान भी स्थापित किया है।
विनेश फोगाट की यात्रा कभी भी आसान नहीं रही है। उन्हें कई बार गंभीर चोटों का सामना करना पड़ा और उनकी स्थिति एक समय तो इतनी गंभीर हो गई थी कि उनका करियर ख़त्म होने की कगार पर था। इसके अलावा, भारतीय कुश्ती महासंघ के साथ भी उनके अनेक विवाद हुए, जिन्होंने उनके मनोबल को प्रभावित करने की कोशिश की। लेकिन प्रत्येक चुनौती को मात देते हुए विनेश ने यह साबित कर दिया कि वे किसी भी परिस्थिति में हार मानने वाली नहीं हैं।
तालिका में प्रस्तुत करते हैं 2016 से लेकर अब तक उनके प्रमुख उपलब्धियों और चुनौतियों की जानकारी:
| वर्ष | उपलब्धि/चुनौती |
|---|---|
| 2016 | रियो ओलंपिक में गंभीर चोट |
| 2018 | एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक |
| 2019 | दोहा वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में चोट |
| 2021 | टोक्यो ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा |
| 2024 | पेरिस ओलंपिक में सेमीफाइनल में प्रवेश |
इस तरह की चुनौतियाँ और उपलब्धियाँ विनेश की जिद्दी और कभी न हार मानने वाली मानसिकता को दर्शाती हैं। उनके इस सफर का अनुभव और सिखावनी नई पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे बार-बार गिरकर भी उठकर आगे बढ़ा जाए।
विनेश फोगाट का सेमीफाइनल मुकाबला अब उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण चरण है। भारतीय खेल प्रेमियों की उम्मीदें उनसे जुड़ी हुई हैं और यह उनकी मेहनत और समर्पण का सबसे बड़ा परीक्षा भी है। अगर वे सेमीफाइनल में जीतती हैं, तो यह न केवल उनकी परंतु पूरे देश की जीत होगी।
विनेश की इस अद्वितीय सफलता ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, मेहनत और दृढ़ता के साथ मंजिल जरूर हासिल की जा सकती है। भारतीय खेल जगत में उनकी यह उल्लेखनीय यात्रा नई प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
Aakash Parekh
7 08 24 / 06:22 पूर्वाह्नबस एक बार जीत गई और सब ने उसे भगवान बना दिया।
Kairavi Behera
8 08 24 / 08:57 पूर्वाह्नविनेश ने जो किया, वो कोई आम बात नहीं। जब दो सेकंड बचे हों और तीन अंक ले लिए, तो ये तो दिमाग की बात है। बहुत बढ़िया किया।
Jitender Rautela
9 08 24 / 04:07 पूर्वाह्नअरे भाई, ये तो सिर्फ एक मैच है। 2016 में जब चोट लगी थी, तो किसी ने इसका जिक्र किया? अब जब जीत गई, तो सब ने अपना रंग बदल दिया।
Gaurang Sondagar
10 08 24 / 07:22 पूर्वाह्नभारत जीत गया अब देश का नाम लिखो आकाश में
abhishek sharma
10 08 24 / 07:46 पूर्वाह्नमैंने तो इस मैच को देखा नहीं, पर जो लोग देखे हैं उनके मुताबिक विनेश ने उस आखिरी सेकंड में ऐसा कुछ किया जैसे फिल्म में होता है। लेकिन अगर ये सब टोक्यो में होता तो क्या लोग इतना चिल्लाते? नहीं ना? ये सब ट्रेंड है।
Preyash Pandya
10 08 24 / 12:31 अपराह्नअरे यार, विनेश की जीत तो बहुत बढ़िया है, पर भारतीय कुश्ती महासंघ के साथ उसके विवाद को कोई नहीं छू रहा? वो लोग तो उसे चोट लगने के बाद भी फिटनेस टेस्ट दिलवाते रहे। अब जब जीत गई, तो वो भी उसके साथ खड़े हो गए। बस इतना ही नहीं, अब वो उसकी तस्वीर लगाने के लिए तैयार हैं। 😒
vishal singh
12 08 24 / 08:35 पूर्वाह्नकुश्ती में नहीं जीते तो क्या होगा? क्रिकेट में जीतो तो देश का नाम चमक जाएगा। विनेश को तो बस एक राउंड जीतना था, बाकी सब ट्रेंड बन गया।
Sujit Yadav
12 08 24 / 21:17 अपराह्नयह जीत निश्चित रूप से एक ऐतिहासिक क्षण है, लेकिन इसे सांस्कृतिक अर्थों में देखना चाहिए। यह भारतीय नारी के सामर्थ्य का प्रतीक है, जो विश्व के शीर्ष प्रतिस्पर्धियों के खिलाफ अपनी अनूठी शक्ति के साथ खड़ी हुई। यह एक निर्माणात्मक विकास का प्रतीक है।
Divya Tiwari
14 08 24 / 21:16 अपराह्नजब तक भारत की लड़कियां जीतती हैं, तब तक दुनिया को याद रखना होगा कि हम यहां हैं। ये जीत सिर्फ विनेश की नहीं, भारत की है। 🇮🇳🔥
kalpana chauhan
15 08 24 / 01:02 पूर्वाह्नविनेश की यात्रा बहुत दिल को छू गई। उन्होंने चोटों, विवादों और संदेहों के बीच भी अपना सपना नहीं छोड़ा। इसके बाद कोई भी कहे कि भारत में खेल नहीं होता, तो बस इसी तस्वीर को दिखा देना। 🌟💖
Karan Kacha
15 08 24 / 20:53 अपराह्नओह भगवान, ये तो बस इतना ही नहीं, ये तो एक जादू है! दो सेकंड बचे थे, तीन अंक लिए, दुनिया चौंक गई! जब वो उस आखिरी चाल को लगाया, तो मैंने अपना चाय का कप उड़ा दिया! ये तो फिल्म की कहानी है, लेकिन ये सच है! विनेश, तुम एक देवी हो! 🙏💃
Nadia Maya
16 08 24 / 07:02 पूर्वाह्नमैंने तो इस जीत को एक फिल्म की तरह देखा, लेकिन असली जीत तो उस दिन हुई जब उन्होंने अपनी चोटों के बाद भी कुश्ती के मैदान में वापसी की। जीत तो बस एक नतीजा है, असली जीत तो उस इरादे में है।
Prachi Doshi
18 08 24 / 01:35 पूर्वाह्नविनेश ने अच्छा किया। बधाई।
Surender Sharma
19 08 24 / 19:37 अपराह्नkya baat hai yaar, ye toh bas ek match hai, aur sab ne isko world war 3 bana diya. aur cricket ke baare mein kya kaha jaye? koi toh baat karo.
Nitin Agrawal
20 08 24 / 00:16 पूर्वाह्नपेरिस में जीतना आसान नहीं है, लेकिन विनेश ने ऐसा किया कि लग रहा था जैसे उसके पैरों में बिजली थी। लेकिन अगर ये जीत टोक्यो में होती, तो आज भी लोग इसके बारे में बात करते? नहीं ना।
Ron Burgher
21 08 24 / 16:52 अपराह्नअरे भाई, ये सब तो बस ट्रेंड है। जब जीत गई तो सब ने उसका गाना गाया। लेकिन जब वो चोट लगी थी, तो किसने पूछा? किसी ने नहीं। अब जब जीत गई, तो वो भी उसका फैन बन गए।
mohit SINGH
22 08 24 / 09:41 पूर्वाह्नविनेश की जीत तो बहुत बड़ी है, पर इससे पहले भी कई खिलाड़ियों ने ऐसा किया था। लेकिन उनकी कहानियां क्यों नहीं चलीं? क्योंकि वो नहीं थे जिनके नाम के साथ 'फोगाट' लगा हो। ये सब नाम की बात है।
Sagar Bhagwat
23 08 24 / 21:30 अपराह्नहां, विनेश ने अच्छा किया, लेकिन ये जीत तो उसकी नहीं, उसके नाम की है। अगर ये कोई और लड़की होती, तो क्या इतना शोर होता? नहीं। फोगाट नाम का जादू है।
Aakash Parekh
24 08 24 / 05:59 पूर्वाह्नहां, नाम का जादू है। अगर ये कोई नया नाम होता, तो आज तक किसी ने उसका नाम नहीं सुना होता।